काफी संघर्षों के बाद अर्चना ने टीम इंडिया को बनाया विश्व विजेता, मां से कहा था- हार नहीं मानेंगे

आईसीसी महिला अंडर-19 टी20 वर्ल्ड कप में भारत को चैंपियन बनाने में अहम भूमिका निभाने वाली अर्चना देवी को अब ज्यादातर लोग जानने लगे हैं। अर्चना ने इंग्लैंड के खिलाफ फाइनल में ग्रेस स्क्रीवंस और नियाम हौलेंड के महत्वपूर्ण विकेट लिए और मैक्डोनाल्ड गे का शॉर्ट कवर्स में दर्शनीय कैच भी लपका था।
बता दें कि अर्चना के पिता शिवराम का 2008 में कैंसर के कारण देहांत हो गया था। वो सावित्री पर काफी लोन और तीन युवा बच्चों की देखभाल का जिम्मा छोड़ गए थे। 2017 में सावित्री के छोटे बेटे बुद्धिमान सिंह की सांप के काटने से मृत्यु हो गई थी। पड़ोसियों और रिश्तेदारों ने सावित्री को बिल्कुल नहीं बख्शा।

अर्चना के बड़े भाई रोहित कुमार ने कहा, ‘गांववाले मेरी मां को डायन बुलाते थे। कहते थे पहले अपने पति को खा गई, फिर अपने बेटे को, इनको देख लेते थे तो रास्ता बदल लेते थे। हमारे घर को डायन का घर कहा जाता था।’ रोहित ने मार्च 2022 में पहले लॉकडाउन के दौरान अपनी नौकरी गंवा दी थी। उन्होंने बताया कि बच्चों की परवरिश के लिए उनकी मां ने कितनी तकलीफें सही हैं।
मां ने कभी हार नहीं मानी
रोहित ने बताया, ‘हर साल हमने बाढ़ का सामना किया। आधे समय हमारे खेत गंगा नदी के कारण पानी से भरे रहते थे। हम अपनी एक गाय और भैंस के दूध पर निर्भर थे। हम इतने साल केवल अपनी मां के कारण जी सके हैं। उन्होंने मुझे अपना ग्रेजुएशन पूरा करने पर जोर दिया और अब चाहती हैं कि मैं सरकारी नौकरी की तैयारी करूं।’ अपनी जिंदगी में रुकावटों को दरकिनार करती हुई सावित्री बस आगे बढ़ती गईं। उनके बेटे के आखिरी शब्द उन्हें आगे बढ़ाते थे, ‘अर्चना को अपना सपना पूरा करने देना।’

रोहित ने बताया, ‘अर्चना पहले बुद्धिमान के साथ क्रिकेट खेलती थी, जो उससे केवल एक साल बड़ा था। अर्चना ने शॉट मारा और गेंद एक निर्माण वाले कमरे में गई। पिता की मृत्यु के बाद हम उसे कभी नहीं बना सके। हर बार बुद्धिमान बल्ले से गेंद निकालता था। मगर तब उसने हाथ का उपयोग किया और कोबरा ने उसे काट लिया। वो अस्पताल के रास्ते में चल बसा। उसके आखिरी शब्द थे, ‘अर्चना को क्रिकेट खिलाओ।’ बुद्धिमान की मौत के बाद जब अर्चना स्कूल लौटी तो अपने क्रिकेट को गंभीरता से लेने लगी और मेरी मां ने उसे कभी नहीं रोका।’
खाना बनाने में व्यस्त थी मां
महिला अंडर-19 टी20 वर्ल्ड कप फाइनल के दिन सावित्री का घर मेहमानों से भरा था। सभी लोग कह रहे थे कि तुम लोगों की तो किस्मत बदल गई। मगर इन सबसे परे सावित्री चूल्हें में 20-25 लोगों का खाना बनाने में व्यस्त रही। 21 साल के रोहित ने अपनी मां के हाथ से स्मार्टफोन लेकर कहा, ‘मेरी मां बहुत महान है, जिन्होंने एक चवन्नी कभी मदद नहीं किया, वो आज मेहमान बने हुए हैं और ये सबको चाय पिला रही हैं।’
कुलदीप यादव को श्रेय
रोहित ने अर्चना को प्रोत्साहित करने के लिए कुलदीप यादव को श्रेय दिया। रोहित ने कहा, ‘कुलदीप यादव कहते थे- अर्चना तुम्हें भी इंडिया के लिए क्रिकेट खेलना है। अर्चना पलटकर कहती थी- हां भैया। एक दिन कुलदीप यादव एकेडमी के कुछ बच्चों को लेकर लंच पर गए थे। रास्ते में अर्चना ने पूछा कि भैया ये कौन-सी गाड़ी है? कुलदीप भाई ने पलटकर कहा, ‘जब बड़ी स्टार बन जाओगी तो इससे भी अच्छी गाड़ी लेना और हम सब को घुमाना।’ आज अर्चना ने अपने घर का सपना पूरा किया और अब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में धमाल मचाने को बेकरार हैं।