मायावती का कहना है कि राजस्थान में दलित और आदिवासी सुरक्षित नहीं है
बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने 6 विधायकों के झटके से उबरने के बाद सीएम अशोक गहलोत को विधानसभा चुनाव 2023 में दर्द देने की तैयारी कर ली है। बसपा कांग्रेस को घेरने के लिए राजस्थान में मजबूत पकड़ के लिए बसपा प्रदेश में इन दिनों जिलेवार और बूथ स्तर पर कार्यकर्ता सम्मेलनों पर फोकस कर रही है। इस बीच बसपा के वरिष्ठ नेता सांसद रामजी लाल गौतम 26 अगस्त से पांच दिवसीय राजस्थान दौरे पर आ रहे हैं। इस दौरान वे भरतपुर, दौसा के महुआ, गंगापुर सिटी, हनुमानगढ़ और झुंझुनू में आयोजित कार्यकर्ता सम्मलेन में शामिल होंगे। इन जिलों में बसपा का मजूबत जनाधार माना जाता है।
विधानसभा चुनाव में बसपा ने कांग्रेस के समीकरण गड़बड़ा दिए थे। बसपा प्रत्याशी जीत की दहलीज पर पहुंचकर चुनाव हार गए थे, लेकिन पार्टी इस बार कांग्रेस को घेरने के लिए सम्मेलनों पर फोकस कर रही है। बसपा का दावा है कि विधानसभा चुनाव 2023 मं बैलेंस आॅफ पावर बनेंगे। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का पूर्वी राजस्थान में 58 में से 40 सीटें मिली थी। जबकि भाजपा को धौलपुर में एक सीट मिली थी।
विधानसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर चुनाव जीतें 6 विधायकों ने कांग्रेस का दामन थाम लिया था। राजेंद्र गुढ़ा, लाखन मीना, वाजिब अली, गिर्राज सिंह मलिंगा, संदीप यादव, दीपचंद खैरिया और जोगिंदर सिंह बसपा के टिकट पर चुनाव जीते थे। लेकिन वर्ष 2020 में सचिन पायलट की बगावत के समय में बसपा विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए। गहलोत सरकार को गिरने से बचाने में इन बसपा विधायक भूमिका मानी गई थी। लेकिन बहुजन समाज पार्टी इस बार फूंक फूंक कर कदम रख रही है। बसपा के प्रदेश अध्यक्ष भगवान सिंह बाबा ने कहा कि पार्टी के लिए समर्पित कार्यकर्ताओं को ही टिकट दिया जाएगा राजस्थान बसपा का मिशन 2023′ के तहत टिकाऊ उम्मीदवारों की तलाश कर रही है। सुप्रीमो मायावती से मिलीं हिदायतें के बाद प्रदेश इकाई जिलेवार और बूथ स्तर पर कार्यकर्ता सम्मेलनों पर फोकस कर रही है।
बसपा प्रदेश अध्यक्ष भगवान सिंह बाबा का कहना है कि पार्टी सुप्रीमो मायावती की राजस्थान पर विशेष नज़र है। वे प्रदेश नेतृत्व को इस बारे में सख्त हिदायत दे चुकी हैं कि पार्टी के साथ ऐसे कार्यकर्ताओं को जोड़ा जाए जो समर्पित होकर लम्बे वक्त तक पार्टी को सेवा दे सके। प्रदेशाध्यक्ष भगवान बाबा ने कहा कि वर्ष 2018 में हमने पार्टी के सिंबल से 6 विधायकों को जितवाया। लेकिन दुर्भाग्य से सभी नेता विधायक बनने के बाद गहलोत सरकार की ओर से मंत्री पद सहित तमाम तरह के लालच में आ गए और छोड़कर चले गए। लेकिन इस बार ‘टिकाऊ’ कार्यकर्ताओं का चयन किये जाने पर ज़ोर दिया जा रहा है।
बसपा सुप्रीमो मायावती गहलोत की पुरानी अदावत रही है। मायावती गहलोत सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर चुकी है। मायावती का कहना है कि राजस्थान में दलित और आदिवासी सुरक्षित नहीं है। दलितों की सुरक्षा करने में कांग्रेसी सरकार पूरी तरह से विफल रही है। सीएम गहलोत भी मायावती पर निशाना साधने से पीछे नहीं रहे हैं। सीएम गहलोत ने यूपी में कांग्रेस को मिली हार पर बसपा को जिम्मेदार ठहराया था। सीएम गहलोत के मुताबिक 90 के दशक में कांग्रेस ने बसपा से गठबंधन किया। दो तिहाई सीटें बसपा को दे दीं और खुद जूनियर पार्टी बन गई। यह हमारी अब तक की सबसे बड़ी भूल थी। इसका नतीजा यह हुआ है कि पार्टी आज तक खड़ी नहीं हो पाई। राजस्थान के मुख्यमंत्री ने कहाकि जिस तरह से मायावती ने पूरा खेल खेला है, इसकी अपेक्षा उनसे नहीं थी। उन्होंने कहाकि वह एक आइडियोलॉजी का प्रतिनिधित्व कर रही थीं, लेकिन उन्होंने बसपा को ही धोखा दे दिया। जिस तरह से उन्होंने भाजपा का समर्थन किया है वह एक तरह से राजनीतिक आत्महत्या है।