जान का ख़तरा होने के बाद भी बिना सुरक्षा घेरे के अटल जी से मिलने एम्स पहुँच गए पीएम मोदी
नई दिल्ली: यह बात किसी से छुपी हुई नहीं है कि आज से नहीं बल्कि जब पीएम मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब से इन्हें जान से मारने की साज़िश की जा रही है। जब से नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने हैं तब से उन्हें जान से मारने की कई ख़बरें आ चुकी हैं। इसके बाद भी पीएम मोदी अपनी जान की परवाह किए बिना ही देश की सेवा में लगे हुए हैं। पीएम मोदी अपने क़रीबियों से मिलने के लिए अपने सुरक्षा घेरे की परवाह भी नहीं करते हैं।
रविवार की रात पीएम मोदी अचानक पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मिलने और उनकी सेहत के बारे में जानने के लिए एम्स पहुँच गए। हैरान करने वाली बात यह थी कि पीएम मोदी एम्स बिना सुरक्षा घेरे और प्रोटोकॉल के ही पहुँच गए थे। सूत्रों से यह बात पता चली है कि पीएम मोदी वाजपेयी से मिलने आ रहे हैं इसकी जानकारी एम्स प्रशासन को भी नहीं थी। उन्हें इसके बारे में तभी पता चला जब पीएम मोदी एम्स पहुँच गए। जानकारी के अनुसार पीएम मोदी बिना किसी सुरक्षा और बिना किसी रुकावट के अपने घर सात लोक कल्याण मार्ग से एम्स तक का सफ़र तय किया।
पीएम मोदी ने अपने घर से एम्स तक के सफ़र को ट्रैफ़िक नियमों का पालन करते हुए तय किया। इस दौरान वह जहाँ-जहाँ लाल बत्ती थी, वहाँ-वहाँ रुके भी थे। एम्स पहुँचने के बाद पीएम मोदी वहाँ लगभग 45 मिनट तक रुके और एम्स के डॉक्टरों से वाजपेयी की तबियत के बारे में जानकारी ली। कुछ दिनों पहले अटल बिहारी वाजपेयी की हालत काफ़ी नाज़ुक बताई जा रही थी, लेकिन अब उनकी हालत स्थिर है। आपको बता दें वाजपेयी का इलाज करने वाले डॉक्टरों की टीम में एम्स के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया, कार्डियो विभाग के एचओडी डॉक्टर बहल और नेफ्रो विभाग के सदस्य शामिल हैं।
इस समय अटल बिहारी वाजपेयी की उम्र 93 साल है और वह पिछले 11 जून से एम्स में इलाज के लिए भर्ती हैं। वाजपेयी की किडनी में समस्या हो गयी थी, जिसके चलते उन्हें एम्स में भर्ती करवाया गया था। जिस दिन वाजपेयी को एम्स में भर्ती किया गया था उस दिन भी पीएम मोदी उनसे मिलने के लिए पहुँचे थे। पीएम मोदी के अलावा वाजपेयी से मिलने लाल कृष्ण आडवाणी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी एम्स जा चुके हैं। वाजपेयी बीते 2009 से बीमार चल रहे हैं और चलने-फिरने के लिए व्हीलचेयर का इस्तेमाल कर रहे हैं।
वाजपेयी डिमेंशिया यानी भूलने की बीमारी से भी पीड़ित हैं। लम्बी बीमारी की वजह से वाजपेयी चलने-फिरने और बात करने में असमर्थ हैं। लगभग तीन सालों से वाजपेयी को किसी सार्वजनिक सभा में नहीं देखा गया है। भाजपा के संस्थापक सदस्यों में शामिल अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार 1996 में देश के प्रधानमंत्री बने थे। दूसरी बार 1998 में प्रधानमंत्री बने थे और तीसरी बार चुनाव जीतकर 1999 में प्रधानमंत्री बने थे। 1999 से 2004 के अपने पाँच साल के कार्यकाल के दौरान उन्होंने देश के लिए कई महत्वपूर्ण काम किए। हाल ही में मोदी सरकार ने उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाज़ा है।